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*युद्ध बन्द हो* *मधुराज लहरे सम्बोधि* युद्ध बन्द हो कहने से, बन्द नहीं होता। युद्ध बन्द होगा युद्ध शुरू करने वाले के बन्द करने से एवम दुनिया के देशों की कूटनीतिक पहल से। जब एक पूर्वाग्रही युद्ध चाहता हो तो कुछ आमजन फरियाद करे तो भी पूर्वाग्रही ,जमीन विस्तारवादी -महत्वाकांक्षी व्यक्ति युद्ध बन्द नहीं करेगा। लेकिन युद्ध बन्द जरूर होगा। क्या प्रतिबन्धो से युद्ध बन्द होगा? शायद नहीं। कोई बेहद ताकतवर मुल्क प्रतिबन्धों से नहीं डरता। . रूस ,यूक्रेन के मुकाबले बेहद ताकतवर है ,ख़बरों के अनुसार वह केवल इतना चाहता है कि यूक्रेन नाटो का मित्र देश बनने की ज़िद छोड़ दे,क्योंकि रुस के अनुसार रूस को इससे खतरा है। मुझे लगता है यह केवल एक बहाना है,बल्कि इसके पीछे की रणनीति बहुत बड़ी। पुतिन और उसके कुछ लोग ,सेना चाहते होंगे रूस पुनः सोवियत रूस बन जाए। 1990 में सोवियत रूस बिखकर 11 देशों ने बन्ट गया था। उस वक्त विश्व मे महाशक्ति था रूस। बात पुतीन की तो वह लॉफ्टिनेंट कर्नल से रिटायर होकर राजनीति में कूदा था।सन 2000 से धीरे-धीरे बढ़ते-बढ़ते राष्ट्रपति बन गया। सैना,युद्ध उसके दीमाग में है। वह आदतन लड़ाकू ही है। राजनेता से शुरुआत किया रहता तब चिंता रहती पर उसकी शुरुआत रूसी खुपिया विभाग में सर्विस से हुई। अब तो पूरी सेना की कमान उनके हाथ में है। रूस की जनता भले युद्ध के पक्ष में नहीं हो। जो व्यक्ति नेशनल टेलीविजन पर युद्ध की आगाज करता हो,आदेश देता हो साथ ही रूस के भीतर अपने राजनीतिक विरिधियो को मौत के घाट उतार देता हो ऐसा राष्ट्रपति बेहद ही खतरनाक होता है। हालांकि उत्तरी कोरिया के खतरनाक तानाशाह से कम खतरनाक कहा जा सकता है। यूक्रेन के खिलाफ़ युद्ध की घोषणा एक विशाल हथियारों से लैस देश द्वारा बहुत कमजोर देश पर हमला है। युद्ध बन्द कैसे होंगे? युद्ध होने से हथियारों की व्यापार तो बढ़ते हैं न? आखिर हथियार किनके लिए बनते होंगे? मनुष्यों द्वारा,मनुष्यों के लिए ही न? युद्ध कैसे बन्द होंगे, कुछ देश हथियार से लैस,परमाणु बम से लैस होकर कह रहे अब युद्ध बन्द हो। कहना चाहिए हथियार मिसाइल,परमाणु बम सभी देश एक साथ एक दिन महासगरो में डुबो दे ,तब क्यों किसी को ललकारेगा? क्या यूएनओ सभी देशों से ऐसा करवाने माद्दा रखता है? नहीं न फिर युद्घ हमेशा के लिए बन्द क्यों होंगे भला? रूस ने अचानक बिना कारण तो यूक्रेन पर हमला नहीं किया। पश्चिमी देश उन कारणों को जब समझ गए थे तो समाधान के लिए पहल क्यों नहीं किया? युद्ध बन्द हो क्योंकि यह युद्ध विश्व युद्ध में तब्दील कही हुआ तो पूरी मानव प्रजाति के लिए विनाशकारी होगा।दुनिया की रीत है ताकतवर कमजोर को दबाता है,दबाने की कोशिश करता है,किसी की सम्प्रभुता को हड़पने की फिराक में रहता है। हर शक्तिशाली यही तो करता है,हड़पने की कोशिश । इसलिए यदि दबना नहीं तो शक्तिशाली बनो। कोई एक शक्तिशाली,अपने से कमजोर को न दबाए इसलिए तो यूएनओ का गठन 1945 में हुआ। तब से अब तक एक बार भी विश्व युद्ध नहीं हुआ न आगे होगा।यही उम्मीद मानव जाति के हित में रहेगा।जब भाई-भाई में नहीं बनता तब अलग होना समस्या की हल होता है। जब कोइ दुसरे द्वारा बनाई सम्पत्ति,ज़ायदाद कुछ चीज हड़पना चाहे यह अन्याय,दादागिरी है।इसे ही दुनिया के अधिकतर लोग गलत मानते हैं। आखिर हड़पने का ख्याल कुछ लोग में आता कहा से होगा? Madhuraj Sambodhi 25/02/2022

को रोना

कोरोना अन्य अर्थ में मेरे अर्थ में क्यो रोना? कोरोना है तो है इसमें रोने की कोई बात नही। जैसे अन्य बीमारी शुरुआत में खतरनाक थी अब नही। जब तक उसका इलाज नही खोजा गया ,तब तक खतरनाक थी जैसे,मलेरिया,टायफायड पहले खतरनाक थी अब नही। कोरोना का भी अब दुनिया जहान में वेक्सीन खोज ली गई अब खतरनाक नही। कोरोना हमारे साथ -साथ,अन्य बीमारी जैसा है चलते रहेगा।    अतः अब कोरोना से घबराने की जरूरत नहीं न ही  कोई कोरोना पॉजिटिव हो जाए उसे नफरत करने,घृणा का भाव रखने की जरूरत।

दस्तक

दस्तक,          आज दुनिया हथियारों के बाज़ार से सजा है।आखिर किसके लिए? इंसानों के लिए न ?फिर किसे मारने के लिए?इंसानों को इंसान ही मार रहे है इससे हासिल होगा क्या?जीरो बटा जीरो और कुछ नही।