दस्तक
दस्तक,
आज दुनिया हथियारों के बाज़ार से सजा है।आखिर किसके लिए? इंसानों के लिए न ?फिर किसे मारने के लिए?इंसानों को इंसान ही मार रहे है इससे हासिल होगा क्या?जीरो बटा जीरो और कुछ नही।
आज दुनिया हथियारों के बाज़ार से सजा है।आखिर किसके लिए? इंसानों के लिए न ?फिर किसे मारने के लिए?इंसानों को इंसान ही मार रहे है इससे हासिल होगा क्या?जीरो बटा जीरो और कुछ नही।
कुछ हासिल नही होने वाला।
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